डायबिटीज, खराब खानपान बिगाड़ सकता है किडनी की सेहत शहर के बीके नागरिक अस्पताल में डायलिसिस के लिए रोजाना पहुंचते हैं लगभग 70 मरीज
फरीदाबाद। आजकल किडनी की समस्या आम हो गई है। इनमें खराब खानपान, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, किडनी स्टोन, और क्रोनिक इंटेस्टाइनल एफ्राइटिस बीमारियां शामिल हैं। बीमारी समय के साथ किडनी फेलियर का कारण बन सकती है। अस्पताल बीके में डायलिसिस के लिए लगभग 70 मरीज रोजाना पहुंचते हैं। जब गुर्दे स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, विश्व किडनी दिवस इसे क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) कहा जाता है। हर वर्ष विश्व किडनी दिवस मनाया जाता है। इस बार इसकी थीम क्या आपकी किडनी ठीक है? समय रहते पता लगाएं, किडनी के स्वास्थ्य की रक्षा करें रखी गई है। संवाद प्रत्यारोपण के बाद खुशहाल जिंदगी जी रहा हूं मुझे तीस साल पहले पथरी की समस्या हुई थी लेकिन मैं देसी दवाई ले रहा था।
कारण मेरी दूसरी जिसके किडनी भी फेल हो गई। मैं बहुत निराश हो गया था। मैं कुछ समय डायलिसिस पर रहा। लेकिन उसके बाद डॉ. रीतेश शर्मा ने मुझे प्रत्यारोपण की सलाह दी। ये सुन कर बहुत घबरा गया था। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मेरी पत्नी ने मुझे किडनी दी। इलाज के बाद अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं और खुशहाल जिंदगी जी रहा हूं। कैलाश, नूंह मुझे कुछ समय से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। मेरे हृदय में कुछ परेशानी बन गई थी जिसके बाद मैं डायलिसिस पर रहा। मुझे उससे इनफेक्शन हो गया। जिसके बाद मेरी किडनी फेल हो गई। मैं बहुत परेशान हो गया। मुझे लगा अब जीवित नहीं रह पाउंगा। लगान लेकिन मैंने ने खुद को टूटने नहीं दिया। डॉक्टरों ने मुझे प्रत्यारोपण की सलाह दी, जिसके बाद मुझे मेरे पिता ने बिना संकोच अपनी किडनी देने का फैसला किया। प्रत्यारोपण के बाद मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं। मुझे थोड़ा परहेज करना पड़ता है। लेकिन मैं खुश हूं।- लाजपत शर्मा, पलवल डर लोगों को परेशान करता है किडनी की विफलता एक लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है। किडनी की बीमारी से ज्यादा उसका डर लोगों को परेशान करता है। बीमारी का पता चलते ही मरीज मानसिक तनाव का शिकार हो जाता है। ओपीडी में रोजाना 40-50 मरीज किडनी की समस्या लेकर आते हैं। डॉ. जितेंद्र कुमार,किडनी रोग मुख्य रूप से गुर्दे की पथरी, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के कारण होता है। बीमारी का अक्सर तब तक पता नहीं चल पाता जब तक कि 80% से अधिक गुर्दे की कार्यक्षमता नष्ट नहीं हो जाती। समय समय पर जाकर डॉक्टर से सलाह लेनी है। डॉ. रीतेश शर्मा, एशियन अस्पताल